Madhu varma

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लेखनी कहानी - नवजात शिशु का खूंखार प्रेत

नवजात शिशु का खूंखार प्रेत

मेरा नाम भारत चावड़ा है | मैं जनकपुरी का रहने वाला हूँ | मेरे पिता सुपारी और पान मसाला के रिटेल व्यापारी हैं | पढाई पूरी करने के बाद अच्छी नौकरी नहीं मिली तो मैंने दुकान पर बैठना शुरू कर दिया | वैसे तो मुझे मुंबई जा कर अपना कारोबार शुरू करने का मन था लेकिन, बाबूजी नें जबरन मेरी शादी करा दी | अब ज़िम्मेदारी आ गयी तो पैर भी दूकान में ही जम गए | शादी के तीन महीने बाद कविता (मेरी पत्नी) पेट से हो गयी | हम दोनों इतनी जल्दी बच्चा नहीं चाहते थे | इसी लिए दवाई से हमने बच्चा गिरा देने का मन बना लिया | इस बात को हमें घर के लोगों से छुपाना ही था | चूँकि यह बात अगर उन्हें पता चलती तो वह हम दोनों को घर से ही निकाल देते | हमने चुपचाप बड़े अस्पताल जा कर यह काम किया | शायद यही भयानक गलती हमें नहीं करनी चाहिए थी |

मुझे आज भी याद है कविता गहरी नींद से भड़क कर जाग गयी थी | उसकी सूरत पर गज़ब का खौफ था | एक पल के लिए तो मुझे लगा की उसकी सांस बैठ गयी | लेकिन बुरी तरह हांफते हुए जब उसने अपने पेट की और देखने को कहा तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए | उसका पेट बुरी तरह नीला पड़ चूका था | और बार बार फुल रहा था | फिर बैठ जाता | मैंने गौर से देखा तो उसकी त्वचा पर कभी नन्हे शिशु के पंजे तो कभी उसका छोटा सा चेहरा उभर आता | वह एक दिल देहला देने वाला मंज़र था |

हमें समझ नहीं आ रहा था की, गर्भ गिराने के बाद यह कैसी विचित्र घटनाएँ हो रही थी | धीरे धीरे बात हद से ज्यादा बढ़ने लगी | अब वह डरावना सिलसिला हर दुसरे दिन होने लगा | कविता की तभियत दिन पर दिन ख़राब होती चली गयी | उसका वज़न भी बेहद गिरने लगा | यह सब देख कर मेरी माँ नें हम दोनों की क्लास ली | थोड़ी देर आनाकानी करने के बाद कविता नें रोते रोते सब सच बता ही दिया | तब मेरी माँ नें उसे तो कुछ ना कहा लेकिन, मुझे करार चांटा मारा |

माँ नें उसी वक्त हमारे गुरु देव को फोन किया | उन्होंने घर पर आ कर साफ़ साफ़ बताया की, भ्रूण हत्या का घोर पाप चढ़ा है | आप की संतान प्रेत योनी में गयी है | कई हज़ार वर्ष भटकने के बाद उसे मनुष्य शरीर मिलने वाला था | आप दोनों के कुकर्म से अब उसे वह सारे फेरे फिर लेने होंगे | इस लिए वह आप दोनों पर बार बार मरणतोल वार करेगी | सावधान रहना | माँ नें उनसे इस समस्या का उपाय पुछा, लेकिन उन्होनें क्रोध प्रकट करते हुए बोल दिया, मैं अजन्मा बच्चों के हत्यारों की मदद नहीं करता | इतना बोल कर वह लौट गए |

इस वाकये के करीब एक हफ्ते बाद मेरी कविता बाथरूम में लहू-लुहान पड़ी हुई मिली | मैंने उसे तुरंत अस्पताल में भरती कराया | डॉक्टर नें बोला गर्भपात की वजह से रिएक्शन हुआ है | अब कविता कभी माँ नहीं बन पायेगी | हम दोनों अन्दर ही अन्दर समझ रहे थे की, किस पाप की सजा मिल रही है | मेरी पत्नी उसके बाद करीब 1 साल तक बीमार ही रही | शरीर तो गया लेकिन उसके साथ साथ उसकी मानसिक हालत भी खराब होने लगी |

मुझे कई बार रात में छोटे बच्चे की रोने और चीखने की आवाज़े सुनाए देती हैं | नींद में अचानक ऐसा महसूस होता है की, कोई बच्चा बार बार मेरे चेहरे को छूने की कोशिश कर रहा है | एक दिन अचानक कविता के माता-पिता उसे घर ले गए | ताकि उसकी हालत में कुछ सुधार हो सके |

उस रात अकेले में मुझे बेहद डरावने सपने आ रहे थे | थोड़ी देर हुई तो खून की उबकाई आना शुरू हो गया, मैंने बिस्तर से उठ कर देखा तो अँधेरे में मेरे सामने एक विकराल शिशु हवा में तैर रहा था | मैं यह सब देख कर बोखला गया | मैंने ज़ोर की चीख लगायी | और बेड रूम से बहार भागा | गभराहट के मारे मेरा पैर फिसला और मैं सीढ़ी से निचे जा गिरा |

अगले दिन मुझे होश आया तब डॉक्टर नें Sorry बोल कर यह बताया की, आप के पेट के निचले हिस्से में गहरी चोट लग गयी है | आप अब कभी पिता नहीं बन सकते हैं | हम दोनों पति-पत्नी अब मौत के इंतज़ार में जी रहे हैं | उस नवजात बच्चे के प्रेत का अगला वार कब होगा इसी डर के साये में पल पल गुज़रता है |

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